बुधवार, 17 अक्तूबर 2018

शमी पूजन कर मनाएं विजयादशमी

नवरात्र की पूर्णता के साथ ही देशभर में विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा। विजयादशमी का पर्व अच्छाई की बुराई पर विजय का सन्देश देता है। विजयादशमी पर्व है संकल्प का कि हम अपने अन्तर्तम में उपजी बुराईयों पर विजय प्राप्त कर सन्मार्ग पर अग्रसर हो सकें। देश के अलग-अलग हिस्सों में विजयादशमी का पर्व अपनी-अपनी लोकपरम्पराओं के अनुसार मनाया जाता है। इस दिन रावण दहन भी किया जाता है जो बुराई एवं अहंकार का प्रतीक है। विजयादशमी के दिन शस्त्रपूजा एवं शमी वृक्ष की पूजा का विशेष महत्त्व होता है। विजयादशमी के दिन देश के कुछ हिस्सों में अश्व-पूजन भी किया जाता है। सनातन धर्मानुसार विजयादशमी के दिन प्रदोषकाल में शमी वृक्ष का पूजन अवश्य किया जाना चाहिए। आईए जानते हैं कि शमीवृक्ष का पूजन किस प्रकार किया जाना श्रेयस्कर रहता है-
- विजयादशमी के दिन प्रदोषकाल में शमीवृक्ष के समीप जाकर उसे प्रणाम करें। तत्पश्चात शमीवृक्ष की जड़ में गंगालज/नर्मदाजल/शुद्धजल का सिंचन करें। जल सिंचन के उपरान्त शमीवृक्ष के सम्मुख दीपक प्रज्जवलित करें। दीप प्रज्जवलन के पश्चात शमीवृक्ष के नीचे कोई सांकेतिक शस्त्र रखें। तत्पश्चात शमीवृक्ष एवं शस्त्र का यथाशक्ति धूप,दीप,नैवेद्य,आरती से पंचोपचार अथवा षोडषोपचार पूजन करें। पूजन के उपरान्त हाथ जोड़कर निम्न प्रार्थना करें-
"शमी शम्यते पापम् शमी शत्रुविनाशिनी।
अर्जुनस्य धनुर्धारी रामस्य प्रियदर्शिनी॥
करिष्यमाणयात्राया यथाकालम् सुखम् मया।
तत्रनिर्विघ्नकर्त्रीत्वं भव श्रीरामपूजिता॥"
-अर्थात हे शमी वृक्ष आप पापों का क्षय करने वाले और दुश्मनों को पराजित करने वाले हैं। आप अर्जुन का धनुष धारण करने वाले हैं और श्री राम को प्रिय हैं। जिस तरह श्री राम ने आपकी पूजा की, हम भी करेंगे। हमारी विजय के रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं से दूर कर के उसे सुखमय बना दीजिये।
- प्रार्थना उपरान्त यदि आपको शमीवृक्ष के समीप शमीवृक्ष की कुछ पत्तियां गिरी मिलें तो उन्हें आशीर्वाद स्वरूप ग्रहण कर लालवस्त्र में लपेटकर सदैव अपने पास रखें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपको शमीवृक्ष से स्वयमेव गिरी पत्तियां ही एकत्र करना है शमीवृक्ष से पत्तियां तोड़नी नहीं हैं। इस प्रयोग से आप शत्रुबाधा से मुक्त एवं शत्रु पराभव करने में सफ़ल होंगे।

-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com

सोमवार, 15 अक्तूबर 2018

महाआहुतियों से पाएं देवी का आशीर्वाद


नवरात्र के नौ दिनों में श्रद्धालुगण पूर्ण श्रद्धाभाव से देवी की आराधना करते हैं। नवरात्र के नौ दिन यथाशक्ति भगवती की पूजा-अर्चना के उपरान्त अन्तिम दिवस "महानिशा-पूजा" की जाती है। जिसमें राजराजेश्वरी माँ जगदम्बा की प्रसन्नता हेतु हवन किया जाता है। हमारे सनातन धर्म में किसी भी अनुष्ठान की पूर्णता हवन के माध्यम से ही की जाती है। देवी जी की आराधना में हवन का विशेष महत्त्व होता है। हवन के उपरान्त कन्या-भोज कराया जाता है। श्रद्धालुगण "महानिशा-पूजा" का हवन यथाशक्ति व सामर्थ्य अनुसार सम्पन्न कर सकते हैं। किन्तु जिन श्रद्धालुओं द्वारा नवरात्र में दुर्गासप्तशती के सम्पूर्ण तेरह अध्यायों का पाठ किया गया हो उन्हें दुर्गासप्तशती के मन्त्रों से हवन करना एवं प्रत्येक अध्याय की विशेष आहुति जिसे "महाआहुति" कहा जाता है, अर्पण करना श्रेयस्कर रहता है। जो श्रद्धालुगण सप्तशती के मन्त्रों से हवन करने के स्थान पर मात्र देवी के नवार्ण मन्त्र "ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै" का पाठ कर हवन एवं महाआहुतियाँ अर्पण करना चाहते हैं वे देवी के नवार्ण मन्त्र "ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै" की माला के उपरान्त प्रत्येक का अध्याय के निर्दिष्ट मन्त्र का उच्चारण करके माँ दुर्गा को "महाआहुति" अर्पण कर सकते हैं। 

 
आईए जानते हैं कि सम्पूर्ण तेरह अध्यायों की विशेष आहुतियाँ कौन सी हैं-
1. पहला अध्याय-
मन्त्र- ॐ महाकाल्यै स्वाहा
महाआहुति- कमलगट्टा, काली मिर्च, शहद, महुआ, राई
2. दूसरा अध्याय-
मन्त्र- ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा
महाआहुति- जायफ़ल, जावित्री, कद्दू, पीली सरसों, राई
3. तीसरा अध्याय-
मन्त्र- ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा
महाआहुति- उड़द का बड़ा
4. चौथा अध्याय-
मन्त्र- ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा
महाआहुति- पंचमेवा व छुआरा (खारक)
5. पांचवा अध्याय-
मन्त्र- ॐ महासरस्वत्यै स्वाहा
महाआहुति- शक्कर व गन्ना
6. छ्ठा अध्याय-
मन्त्र- ॐ धूम्राक्ष्यै स्वाहा
महाआहुति- जासौन का फ़ूल
7. सातवां अध्याय-
मन्त्र- ॐ चामुण्डायै स्वाहा
महाआहुति- बीला (बिल्वफ़ल), बिल्वपत्र, पालक
8. आठवां अध्याय-
मन्त्र- ॐ रक्ताक्ष्यै स्वाहा
महाआहुति- रक्त चन्दन
9. नौवां अध्याय-
मन्त्र- ॐ भैरव्यै तारा देव्यै स्वाहा
महाआहुति- केला, नागरमोंथा, अगर, तगर
10. दसवां अध्याय-
मन्त्र- ॐ भगवत्यै स्वाहा
महाआहुति- बिजोरा नींबू
11. ग्यारहवां अध्याय-
मन्त्र- ॐ नारायण्यै स्वाहा
महाआहुति- खीर-पूड़ी
12. बारहवां अध्याय-
मन्त्र- ॐ राजराजेश्वर्यै स्वाहा
महाआहुति- दाड़िम (अनार)
13. तेरहवां अध्याय-
मन्त्र- ॐ दुर्गा देव्यै स्वाहा
महाआहुति- श्रीफ़ल 

-ज्योतिर्विद् पं हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com