कल मैं एक यात्रा पर था। मैंने ट्रेन में अपने आसपास देखा तो पाया लगभग सभी यात्रियों के पास मोबाईल था। अधिकांश के पास बड़े मंहगे मोबाईल हैण्डसेट थे वहीं कुछ के पास सामान्य। आश्चर्य की बात तो यह थी कि बात दोनों ही से एक समान हो रही थी। मेरे देखे हमारे दैनिक जीवन की वस्तुएं हमारी आवश्यकता की पूर्ती करने वाली होना चाहिए ना कि हमारे अहंकार की पूर्ती करने वाली, यही धार्मिकता का लक्षण है।
-ज्योतिर्विद पं. हेमन्त रिछारिया
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें