सनातन धर्मानुसार ब्राह्मणों को इस धरती का देवता माना गया है।
वहीं शास्त्रानुसार ब्राह्मण भगवान के मुख कहे जाते हैं। ब्राह्मण सदैव वन्दनीय है।
ब्राह्मणों का अपमान ब्रह्म दोष का कारक होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ब्राह्मणों
की भी श्रीणियाँ होती हैं। स्कँद पुराण के अनुसार ब्राह्मणों की आठ श्रेणियाँ निर्धारित की गई हैं। आज हम पाठकों
के लिए इन आठ श्रेणियों का वर्णन करेंगे-
1. द्विज- जनेऊ धारण करने वाला ब्राह्मण "द्विज" कहलाता
है।
2. विप्र- वेद का अध्ययन करने वाला वेदपाठी ब्राह्मण "विप्र"
कहलाता है।
3. श्रोत्रिय- जो ब्राह्मण वेद की किसी एक शाखा का छ: वेदांगों सहित
अध्ययन कर ज्ञान प्राप्त करता है उसे "श्रोतिय" कहते हैं।
4. अनुचान- जो ब्राह्मण चारों वेदों का ज्ञान प्राप्त कर लेता है उसे "अनुचान"
कहा जाता है।
5. ध्रूण- जो ब्राह्मण नित्य अग्निहोत्र व स्वाध्याय करता है उसे "ध्रूण"
ब्राह्मण कहते हैं।
6. ऋषिकल्प- जो ब्राह्मण अपनी इन्द्रियों को अपने वश में करके जितेन्द्रिय हो
जाता है उसे "ऋषिकल्प" कहते हैं।
7. ऋषि- जो ब्राह्मण श्राप व वरदान देने में समर्थ होता है उसे "ऋषि"
कहते हैं।
8. मुनि- जो ब्राह्मण काम-क्रोध से रहित सब तत्वों का ज्ञाता होता है और जो
समस्त जड़-चेतन में समभाव रखता हो उसे "मुनि" कहा जाता है।
-ज्योतिर्विद पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
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