शुक्रवार, 9 दिसंबर 2016

विशुद्ध धार्मिकता-

अधिकतर मेरी बातें सनातन धर्म के कुछ सिद्धांतो व रूढ़ियों को विरूद्ध होती हैं जिससे मेरे कुछ सनातनी मित्र असहज हो जाते हैं। वे कहते हैं आप धार्मिक होकर ऐसी बातें करते हो! मेरा उत्तर होता है कि मित्र केवल धार्मिक व्यक्ति ही ऐसी बातें कर सकता है; अधार्मिक नहीं। धार्मिक व्यक्ति कभी भी कट्टर और रूढ़िवादी नहीं होता, अगर वह चाहे तो भी नहीं हो सकता। धार्मिक व्यक्ति ना हिन्दू होता है; ना मुसलमान; ना सिक्ख; ना ईसाई, धार्मिक व्यक्ति तो बस धार्मिक होता है; विशुद्ध धार्मिक। मैंने कई बार कहा है पुन: कहे देता हूं धर्म एक व्यवस्था मात्र है इसे परमात्मा से जोड़े जाने के पीछे उद्देश्य यही था कि व्यवस्था ठीक प्रकार से चले; बस, इससे अधिक धर्म का परमात्मा से कोई सम्बन्ध नहीं। अत: परमात्मा के साक्षात्कार की फ़िकर कीजिए आप अपने आप धार्मिक हो जाएंगे।
-ज्योतिर्विद पं. हेमन्त रिछारिया

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