शुक्रवार, 9 दिसंबर 2016

हमारे षोडश संस्कार

जानिए षोडश संस्कारों एवं उनके करने का शास्त्रोक्त समय-
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१. गर्भाधान संस्कार- सायंकाल, व्रतादि तिथियों एवं श्राद्ध तिथियों को छोड़कर किसी भी शुभ मुहूर्त में।
२. पुंसवन संस्कार- गर्भस्थापन के दूसरे या तीसरे माह में।
३. सीमान्तोन्न्यन संस्कार- गर्भस्थापन के छठे या आठवें माह में।
४. जातकर्म संस्कार- प्रसवपीड़ा होने पर।
५. नामकरण संस्कार- जन्म के ग्यारहवें या बाहरवें दिन।
६. निष्क्रमण संस्कार (बाहर घुमाना)- नामकरण संस्कार के दूसरे दिन या जन्म के चौथे माह में।
७. अन्नप्राशन संस्कार- जन्म के पांच माह के बाद और छ: माह के अन्दर।
८. चूड़ाकर्म संस्कार (मुण्डन)- ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य का जन्म के प्रथम वर्ष अथवा तीसरे वर्ष में।
९. कर्णवेध संस्कार- जन्म के तीसरे या पांचवे वर्ष में।
१०. उपनयन (जनेऊ) संस्कार- ब्राह्मण का आठवें वर्ष में, क्षत्रिया का ग्यारहवें वर्ष में व वैश्य का बारहवें वर्ष में।
११. वेदारम्भ संस्कार- उपनयन संस्कार वाले दिन अथवा उससे तीसरे दिन।
१२. समावर्तन संस्कार- वेदाध्ययन समाप्त होने पर। ब्राह्मणों का केशान्त कर्म सोलहवें वर्ष में, क्षत्रिय का बाईसवें वर्ष में और वैश्य का चौबीसवें वर्ष में होना चाहिए।
१३. विवाह संस्कार- विवाह की उचित आयु होने पर।
१४. आवस्थ्याधान संस्कार- विवाह के पश्चात।
१५. श्रोताधान संस्कार- आवस्थ्याधान संस्कार के पश्चात।
१६. अन्तेष्टि संस्कार- मृत्यु होने पर।

-ज्योतिर्विद पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र

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