मंगलवार, 20 सितंबर 2016

"आत्मा; परमात्मा का सब-स्टेशन है"

 जिस प्रकार बड़े बड़े स्टेशनों से पहले उसी शहर का एक छोटा सब-स्टेशन होता है, जैसे भोपाल का हबीबगंज, जबलपुर का मदन महल, मुम्बई का कल्याण इत्यादि जो होता उसी शहर में है लेकिन उस शहर में होते हुए भी उस शहर से थोड़ा अलग होता किन्तु उसकी महत्ता इस बात से होती है कि उसके आते ही यात्रीगण को इतना विश्वास हो जाता है कि मुख्य स्टेशन अब दूर नहीं है; बस अब आने ही वाला है। मेरे देखे आत्मा भी उस परमात्मा का ऐसा ही एक सब-स्टेशन है जिसके प्राप्त होते ही यह पता चलने लगता है कि परमात्मा अब अधिक दूर नहीं है, बस आने ही वाला है इसीलिए तो बुद्ध ने केवल आत्मा की बात की क्योंकि आत्मा के जानते ही परमात्मा की प्रतीती स्वमेव होने लगती है; करनी नहीं पड़ती।

-ज्योतिर्विद पं. हेमन्त रिछारिया

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें