कुछ लोग पूजा-पाठ में नियमों और विधि-विधानों को लेकर बहुत आग्रही होते हैं। पूजा-पाठ, कर्मकाण्ड इत्यादि में नियमों और विधि-विधानों का यथोचित ध्यान रखा जाना चाहिए किन्तु उसके पालन के लिए उद्धिग्न होना उचित नहीं है। मेरे देखे देवपूजा में यदि कोई बात अत्यंत महत्वपूर्ण है तो वह है- "भाव"। मैं तो यही कहूंगा कि पूजा में नियम भले टूटें किन्तु "भाव" नहीं टूटना चाहिए। पूर्ण श्रद्धा एवं समर्पित भाव से की गई पूजा बिना किसी विशेष नियम और विधि-विधान के भी स्वीकार होती है। हमारे शास्त्रों में भी मानस पूजा को अत्यंत श्रेष्ठ और शीघ्र फ़लदायी बताया गया है। मानस पूजा है क्या...? मानस पूजा केवल "भाव" साधने की प्रक्रिया मात्र है। अत: जब भी पूजा करें "भाव" पर विशेष ध्यान दें।
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