रविवार, 2 नवंबर 2014

"धर्म एक व्यवस्था है"

“मेरे देखे धर्म एक व्यवस्था मात्र है। जो भी व्यवस्था बनाने में सहयोग करता है वह धार्मिक है और जो व्यवस्था बिगाड़ता है वह अधार्मिक है। जब जीवन में परमात्मा का प्राकट्य होता है तब सभी कुछ व्यवस्थित हो जाता है।”

-ज्योतिर्विद पं. हेमन्त रिछारिया

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