बहवो यत्र नेतारः सर्वे पण्डितमानिनः।
सर्वे महत्वमिच्छन्ति एद्राष्ट्रमवसीदति॥
(महाभारत)
जहां बहुत से लोग नेता बन जाते हैं सभी स्वयं को बहुत ज्ञानवान व बुद्धिमान मानते हैं तथा सभी महत्वाकांक्षी होते हैं, वह राष्ट्र नष्ट हो जाता है।
*****
यस्य नास्ति स्वयंप्रज्ञा शास्त्रं तस्य करोति किम् |
लोचनाभ्यां विहीनस्य दर्पणः किं करिष्यति ||
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें