शुक्रवार, 26 सितंबर 2014

सुभाषित


बहवो यत्र नेतारः सर्वे पण्डितमानिनः।
सर्वे महत्वमिच्छन्ति एद्राष्ट्रमवसीदति॥
(महाभारत)
जहां बहुत से लोग नेता बन जाते हैं सभी स्वयं को बहुत ज्ञानवान व बुद्धिमान मानते हैं तथा सभी महत्वाकांक्षी होते हैं, वह राष्ट्र नष्ट हो जाता है।

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यस्य नास्ति स्वयंप्रज्ञा शास्त्रं तस्य करोति किम् |
लोचनाभ्यां विहीनस्य दर्पणः किं करिष्यति ||

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