सोमवार, 29 सितंबर 2014

तैंतीस कोटि देवता

अक्सर लोग अपने अज्ञान के कारण कई गलत बातों को प्रचलन में डाल देते हैं जिसे बाद में गलत सिद्ध कर पान कठिन हो जाता है ऐसी ही मिथ्या धारणा है कि सनातन हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं;लेकिन ऐसा है नहीं, सच्चाई इसके बिलकुल ही विपरीत है |  हमारे वेदों में 33 “कोटि” देवी-देवताओं का उल्लेख है | संस्कृत के “कोटि” शब्द का अर्थ “प्रकार” भी होता है और “करोड़” भी, किंतु कुछ धर्मावलंबियों ने इसका वास्तविक अर्थ समझे बिना ही इसे “करोड़” के रूप में प्रचारित कर दिया, यह एक ऐसी भूल है जिसने वेदों में लिखे पूरे अर्थ को ही परिवर्तित कर दिया |  हमारे धर्म ग्रंथों में सूर्य, चन्द्र, वरुण, वायु , अग्नि को भी देवता माना गया है। ज़रा विचार कीजिए यदि वास्तव में ३३ करोड़ देवी-देवता होते तो कहीं ना कहीं;किसी ना किसी शास्त्र में उनका नाम तो अवश्य होता! क्या आज तक किसी भी हिन्दू धर्मगुरू ने ३३ करोड़ देवी-देवताओं के नाम का उल्लेख किया है? इसके विपरीत ३३ प्रकार के देवताओं के नाम उपलब्ध हैं जो इस प्रकार हैं-

12 आदित्य है - धाता , मित् , अर्यमा , शक्र , वरुण , अंश , भग , विवस्वान , पूषा , सविता , त्वष्टा , एवं विष्णु |

8 वसु हैं - धर , ध्रुव ,सोम , अह , अनिल , अनल , प्रत्युष एवं प्रभाष

11 रूद्र हैं - हर , बहुरूप, त्र्यम्बक , अपराजिता , वृषाकपि , शम्भू , कपर्दी , रेवत , मृग्व्यध , शर्व तथा कपाली |

2 अश्विनी कुमार हैं |

कुल : 12 +8 +11 +2 =33

वैसे समाधि को उपलब्ध साधक ये भलीभांति जानते हैं कि शून्य और निराकार अस्तित्व के अतिरिक्त ईश्वर की और कोई सत्यता नहीं है इसके बारे में हमारे धार्मिक ग्रंथों ने भी बताया है जैसे  “निरंजनो निराकारो एको देवो महेश्वरः” अर्थात इस ब्रह्माण्ड में सिर्फ एक ही देव हैं जो निरंजन निराकार है वहीं रामायण में भी तुलसीदास जी ने कहा है “बिनु पद चले सुने बिनु काना, बिनु कर करम करे विधि नाना”। गुरूनानक देव  का वचन है-“एक ओंकार सतनाम”।

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