बुधवार, 12 अक्तूबर 2016

मुहूर्त श्रेष्ठता

वर्ष मासो दिनं लग्नं मुहूर्तश्चेति पन्चकम्।
कालस्यागानि मुख्यानि प्रबलान्युत्तरोत्तरम्॥
लग्नं दिनभवं हन्ति मुहूर्त: सर्वदूषणम्।
तस्मात् शुद्धि मुहूर्तस्य सर्वकार्येषु शस्यते॥
अर्थ- मास श्रेष्ठ होने पर वर्ष का, दिन श्रेष्ठ होने पर मास का एवं मुहूर्त (लग्नादि) श्रेष्ठ होने पर वर्ष,मास, दिन सभी के दोष दूर हो जाते हैं।
-मुहूर्तचिन्तामणि

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